Tuesday, March 15, 2011


दु:ख का बादल तुम्‍हें घेर ले
तुम्‍हारे लिये यह शर्म की बात है
तुम्‍हारा शरीर यदि शिथिल पड़ जाये
तुम्‍हारे लिये यह शर्म की बात है
पतझड़ के नंगे वृक्ष की तरह ज़ि‍न्‍दा रहो
कठोर ज़मीन को तोड़कर उगते अंकुर की तरह
जीवन का स्‍पन्‍दन पैदा करो।

-जोस दि दियोगो

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