Sunday, February 20, 2011

राजनीति से अलग रहने वाले लोग

'राजनीति' फिल्‍म का संदेश बेहद प्रतिक्रयावादी है। फिल्‍म बताती है कि एक ईमानदार, नेक युवा भी यदि राजनीति में जाता है तो बेरहम और काँइयाँ हो जाता है। यदि मानवीय संवेदना बचायी रखनी हो तो राजनीति से दूर ही रहना चाहिए। यानी अच्‍छे लोगों को राजनीति से दूर रहना चाहिए और राजनीति का क्षेत्र छंटे हुए बदमाशों और हरामियों के लिए छोड़ देना चाहिए।
लेकिन समाज के संचालन की सारी नीतियां राजनीति के दायरे में ही तय होती हैं। शिक्षा कैसी हो, सभी लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं कैसे मिले, सबको रोज़गार कैसे मिले, विकास का स्‍वरूप कैसा हो  -  ये सारे अर्थनीति के प्रश्‍न राज्‍यसत्‍ता में बैठे लोग तय करते हैं। राज्‍यसत्‍ता पर राजनीति करने वाले ही काबिज होंगे।
राजनीति को गाली देकर अराजनीतिक हो जाने वाले लोग सबसे भ्रष्‍ट और गंदे-कमीने लोगों के चाकर बनकर, अपने आस-पास के अनाचार से आंखें मूंदकर पेट पालते हैं।
राजनीति  से आप भाग नहीं सकते। राजनीति दो प्रकार की होती है -  लूट, शोषण और अन्‍याय के तंत्र को चलाने वाली राजनीति और इस तंत्र को तोड़कर न्‍याय और समानता पर आधारित तंत्र बनाने की राजनीति। एक शासकवर्गीय राजनीति है दूसरी जनपक्षीय राजनीति है। एक यथास्थिति की राजनीति है, दूसरी आमूल बदलाव की राजनीति है। एक पूंजी की राजनीति है, दूसरी श्रम की राजनीति है। एक संसदीय चुनावों की राजनीति है, दूसरी जनक्रांति की राजनीति है। राजनीति से भागने के बजाय आपको दो राजनीतियों में से एक को चुनना ही होगा। जब आप तटस्‍थ होते हैं तो ग़लत राजनीति के पक्ष में खड़े होते हैं।
सामाजिक - राजनीतिक सरोकारों से कटकर योग-साधना, कला-साधना और आत्‍मविकास में लगे अराजनीतिक बुद्धिजीवियों के लिए ओतो रेने कास्तिलो की कविता 'अराजनीतिक बुद्धिजीवी' बेहद प्रासंगिक है जिसे हम अपनी 'प्रिय कविताओं' के अन्‍तर्गत दे रहे हैं। 

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