Sunday, January 09, 2011

स्‍त्री की प्राइवेसी का स्‍पेस

स्‍त्री की अपनी जगह कई बार उसके अपने अकेलेपन में सुरक्षित होती है। यह अकेलापन सामाजिकता का निषेध नहीं है। यह सोचने और सर्जनात्‍मकता की ज़रूरत होती है और अपने निजी दु:खों - उदासियों के बीच आने - जाने के लिए होता है। यह उसका प्राइवेसी का स्‍पेस होता है।

लेकिन यह मिलता ही कहां है! इस स्‍पेस में घुसपैठ, ताकझांक और दख़लंदाजी के बहाने तो लोगों को मिलते ही रहते हैं!

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