Friday, January 14, 2011

शुरुआत की सुबह



छोटी-छोटी बातें
हज़ारों दुख गाथाएं
समझने में सीधी और आसान
कहीं सिर्फ एक या दो मामूली सी
पहचान।
धूलकण
एक पेड़ का गिरना
कहीं से थोड़ा सा रिसाव ,
चूल्‍हे का ऊष्‍म धुंआ।
हमारी आवाज़ शर्मिन्‍दा होकर
छुप जाती है मशीनों के बाज़ार में ।
सिर्फ वेदनाएं
दुख की गाथाएं
चलती रहेंगी अनंत काल तक
या
हम उठ खड़े होंगे
अंतिम क्षड़ों में?
अन्‍त नहीं होगा
जहां अन्‍त होना था,
वहीं शुरुआत की सुबह खिल उठेगी।

                                    -शंकर गुहा नियोगी
                                     (शहीद श्रमिक नेता)

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