Sunday, January 09, 2011


जीवन का पुन: अंकन कला की सामान्‍य विशिष्‍टता है और इसी में उसकी चरितार्थता निहित है। कलाकृतियां बहुधा एक अन्‍य उद्देश्‍य का भी साधन करती हैं: जीवन की व्‍याख्‍या करने और जीवन के घटना-प्रवाह पर अपना अभिमत प्रकट करने के उद्देश्‍य का।

 -चेर्नीशेव्‍स्‍की (19वीं सदी के प्रसिद्ध रूसी लेखक)

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