Thursday, December 30, 2010


जिस धरती पर हर अगले मिनट एक बच्‍चा भूख या बीमारी से मरता हो, वहॉं पर शासक वर्ग की दृष्टि से चीज़ों को समझने की आदत डाली जाती है। लोगों को इस दशा को एक स्‍वाभाविक दशा समझने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। लोग व्‍यवस्‍था को देशभक्‍ित से जोड़ लेते हैं और इस तरह से व्‍यवस्‍था का विरोधी एक देश द्रोही अथवा विदेशी एजेण्‍ट बन जाता है। जंगल के कानूनों को पवित्र रूप दे दिया जाता है ताकि पराजित लोग अपनी हालत को अपनी नियति समझ बैठें।

- एदुआर्दो खालीआनो
(अर्जेण्‍टीना के लेखक)

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